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हम उन बताई जगहों की ओर बढते उलझे पथिक लौट रहे हैंजिनकी सूचना मिलती है अप्रमाणित युद्धों घरों में उन बिखरावों में जो हमारे टूटे अनुभवों की दांस्तानां में भरी पड़ी दुबकी शांति के लिए
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