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एक आदमी की प्रकृति में / नीलोत्पल
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08:38, 23 दिसम्बर 2014
<poem>
मैं हमेशा एक जैसा नहीं रह सकता
एक जैसी
सुबहं
सुबह
, एक जैसी रातें
एक जैसा आदमी, एक जैसी फ़ुर्सत
Sharda suman
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