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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेन्द्र मोदी |अनुवादक=अंजना संध...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नरेन्द्र मोदी
|अनुवादक=अंजना संधीर
|संग्रह=आँख ये धन्य है / नरेन्द्र मोदी
}}
<poem>
अभी तो मुझे आश्चर्य होता है
कि कहाँ से फूटता है यह शब्दों का झरना
कभी अन्याय के सामने
मेरी आवाज की आँख ऊँची होती है
तो कभी शब्दों की शांत नदी
शांति से बहती है
इतने सारे शब्दों के बीच
मैं बचाता हूँ अपना एकांत
तथा मौन के गर्भ में प्रवेश कर
लेता हूँ आनंद किसी सनातन मौसम का।
</poem>
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|रचनाकार=नरेन्द्र मोदी
|अनुवादक=अंजना संधीर
|संग्रह=आँख ये धन्य है / नरेन्द्र मोदी
}}
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अभी तो मुझे आश्चर्य होता है
कि कहाँ से फूटता है यह शब्दों का झरना
कभी अन्याय के सामने
मेरी आवाज की आँख ऊँची होती है
तो कभी शब्दों की शांत नदी
शांति से बहती है
इतने सारे शब्दों के बीच
मैं बचाता हूँ अपना एकांत
तथा मौन के गर्भ में प्रवेश कर
लेता हूँ आनंद किसी सनातन मौसम का।
</poem>