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सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय

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भाई-बहन :ऊषा, शोभा, सुनील, सुधीर, आशा, शशि, सुशील एवं मंजू
पत्नी एवं पुत्री : अनुराधा - सागरिका
संपर्क : बी - 204, एक्सेल हाऊस, १३ 13 वां रास्ता, जुहू स्कीम, जुहू, मुंबई - 400049.022 2620 9913 / 2671 9913 / 09892165892  
sckshukla@rediffmail.com / sckshukla@gmail.com
www.raqeeblucknowi.mumbaipoets.com
'आप से तुम, तुम से तू कहने लगे' :"संगम":वर्ष-2013:अंक-3 मार्च 2013 : पृष्ठ-42 : पटियाला (पंजाब)
'हर एक लफ़्ज़ पे वो जाँ निसार करता है' अर्बाबे-क़लम : 15/35 अप्रैल - जून 2013 देवास, म.प्र.
'अश्के “अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद':"अदबी : “अदबी दहलीज़":दूसरी महक/पृष्ठ-27:जून 2013 सरायमीर, आज़मगढ़ (उ.प्र. )
'परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ':पृष्ठ-11:द उर्दू टाइम्स:23 जून 2013:मुंबई (महाराष्ट्र)
"पछताएगा, मज़लूम पे ज़ालिम न जफा कर / क़ुदरत की तो लाठी की सदा तक नहीं आती " : मुख्य पृष्ठ बॉक्स : 26 जून 2013 : डेली उर्दू एक्शन (उर्दू में) : भोपाल (म.प्र.) "गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिंदी से / मेरे मिजाज़ में उस अंजुमन की खुशबू है" : मुख्य पृष्ठ बॉक्स : 26 जुलाई 2013 : डेली उर्दू एक्शन (उर्दू में) : भोपाल (म.प्र.) "क्यों ज़ुबां पर मेरी आ गई हैं प्रिये"/"होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती":उजाला-2013 दीपावली विशेषाँक:धमतरी(छ.ग.):पृष्ठ-123
“'अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद” अर्बाबे-क़लम : 17/30 : अक्टूबर - दिसम्बर 2013 : देवास, म.प्र.
"लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : ग़ज़ल के बहाने - पुष्प-13 :पृष्ठ-123 24 : जवाहर नगर, दिल्ली – 7“'अश्के “अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद”:रिसाला-ए-इंसानियत:वर्ष-5:अंक 19: पृष्ठ-94:अक्टूबर-दिसंबर 2013:भोपाल (म.प्र.)
"लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" / "होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती": समकालीन स्पंदन : शरद अंक : अंक - 4 : वर्ष - 2013 : पृष्ठ-22 : पत्रांश- पृष्ठ-4 : वाराणसी उ. प्र.
“'अश्के “अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद”/उर्दू एक्शन(उर्दू में):वॉल्यूम नंबर-30:इश्यू-91:नवम्बर 20, 2013:भोपाल(म.प्र.)
“'अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद” / पीपुल्स समाचार : शुक्रवार 22 नवंबर, 2013 : भोपाल (म.प्र.)
“'अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद”/मेट्रो न्यूज़:वर्ष-4:अंक-21 : पृष्ठ 8 : दिसम्बर 21, 2013 : भोपाल (म.प्र.)“'अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद” / मूनलाईट टाइम्स : वर्ष - आठ : अंक - तीन : पृष्ठ 17 : दिसम्बर 2013 : भोपाल (म.प्र.)"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे"/अभिनव इमरोज़ : वर्ष-3 : अंक-18 : फरवरी 2014 : पृष्ठ-59 : वसंत कुंज, नई दिल्ली - 70 "ज़हनो दिल में हर इक के उतर जाइए" / प्रेरणा-अंशु / वर्ष-२७ : अंक-1 : पृष्ठ-22 : मार्च 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड."आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब" /"बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) शनिवार 05 अप्रैल 2014."अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) शनिवार 07 अप्रैल 2014 'बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे' :"अदबी दहलीज़":4/58 अप्रैल-जून 2014 सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.“रख के मेज़ों पे जो भारत का अलम बैठे हैं” : अर्बाबे-क़लम : 19/30 : अप्रैल-जून 2014 : देवास, म.प्र.“हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है”: रिसाला-ए-इंसानियत :वर्ष-6: अंक 21:पृष्ठ-15 अप्रैल-जून 2014 :भोपाल म.प्र."मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है" / "छा जाए घटा जब ज़ुल्फ़ों की" : गीत : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) : सोमवार 05 मई 2014बताऊँ क्यों अजीब हूँ" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) 11 जुलाई 2014'बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे':"अभिनव इमरोज़":वर्ष-3 :अंक-6 :पृष्ठ-77 : जून 2014 :नई दिल्ली-70 "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" :"नई लेखनी" :वर्ष-3: अंक-7 : पृष्ठ - 31 : जुलाई - दिसम्बर 2014 : बरेली उ. प्र. "होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" / प्रेरणा-अंशु / वर्ष-२७ :अंक-4 :पृष्ठ-24 :जुलाई 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड."आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे" / अभिनव इमरोज़ : वर्ष - 3 :अंक-7 : जुलाई 2014 : पृष्ठ-53 : वसंत कुंज, नई दिल्ली - 70 “परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ” : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष-6: अंक 32: पृष्ठ-69 : जुलाई-सितम्बर 2014 : भोपाल म.प्र.'आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब' / 'फिर से शहनाइयाँ, शामियाने में हैं' :"अदबी दहलीज़":5/18 जुलाई-सितम्बर 2014 सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र."मिल जुल के चलो प्यार का संसार बसाएँ / तनहा न बना पाएँगे हम एक मकाँ तक" / ऊँची-उड़ान / प्रेरणा-अंशु / वर्ष - 27 : अंक - 5 : पृष्ठ - 21 : अगस्त 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड. "काश! इक बार मिल सकूँ उससे" : ग़ज़ल के बहाने - पुष्प-16 :पृष्ठ-18 : सितम्बर 2014 : जवाहर नगर, दिल्ली– ७'बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे':"प्राची प्रतिभा": वर्ष-5 : अंक-54 : पृष्ठ-24 : अक्टूबर 2014 लखनऊ उ.प्र.“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" / "लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : अनुष्का : वर्ष-4: अंक 3: पृष्ठ-25 : अक्टूबर 2014 : मुम्बई ( महाराष्ट्र )"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" : "अदबी दहलीज़": 2/2/23 अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.“ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : गीत गागर : : अंक ८ : पृष्ठ- 35 : अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : पत्र - पृष्ठ - 09 : भोपाल म.प्र."अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" / प्रेरणा-अंशु / वर्ष - 27 :अंक - 8 : पृष्ठ - 23 : दिसम्बर 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड.“सुब्ह नौ की है तू रौशनी भी सनम” / “आँसुओं से अपना दामन तर-बतर होने के बाद” / “बताऊँ क्यों अजीब हूँ” : अभिनव इमरोज़ : वर्ष - 4 :अंक-1 : जनवरी 2015 : पृष्ठ - 25 : वसंत कुंज, नई दिल्ली - 70 "ये हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई" : "अदबी दहलीज़": 2/3/19 : जनवरी-मार्च 2015 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.“परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ” / “हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है” : परिधि -13 : अंक - 13 : पृष्ठ – 60 : : जनवरी 2015 : हिन्दी उर्दू मजलिस , सागर (म. प्र.)
आकाशवाणी-प्रसार भारती मुंबई के सम्वाहिका चैनल से रचनाओं/काव्यपाठ का प्रसारण-नवम्बर 2012
पुरस्कार, सम्मान एवं सहभागिता
मुंबई, देहली, पुणे, भोपाल, लखनऊ एवं कानपुर में 300 से अधिक मुशायरों, नाशिस्तों, कवि सम्मेलनों और
काव्य गोष्ठियों में शिरकत
मुंबई की सामजिक एवं साहित्यिक संस्था आशीर्वाद द्वारा विशेष सम्मान मई 2008
अंजुमन फ़रोग-ए-उर्दू द्वारा दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय ग़ज़ल गोष्ठी "ग़ज़ल उत्सव"
में शिरकत और स्मृति चिन्ह : जनवरी 2013
 निर्माता/निर्देशक म ना नरहरी जी द्वारा निर्मित 40 रचनाकारों के सामूहिक वीडियो एलबम "दस्तावेज़" में सहभागिता : लोकार्पण दिनांक 03.03.2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)  ******************
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