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<poem>एक, निःश्वास और छूटा है
अभी-अभी
सहसा विश्वास कोई टूटा है

मृगतृष्णा रीत-रीत
जाने का हादसा
अच्छा है जीवन का
पहलू उन्माद सा
किसको क्या मिल गया
जाने दो प्रश्न ये
जिससे जितना बना
उतना मुझे लूटा है


सांसों से जुड़ा जुड़ा
छंद है पलायन का
वनवासी कामनाएं
अर्थ मेरे गायन का
बार बार
लौट लौट आता हूं
लगता है मोह तेरा खूंटा है।


</poem>
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