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07:54, 11 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अभिज्ञात
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<poem>
सगरो ऐना चोरा के राखल बा।
सच के गहना चोरा के राखल बा।
ऊ कसम खाके झूठ बोलै ले
प्रीत नैना चोरा के राखल बा।
तबले धनवान बा सभे केहू
जबले सपना चोरा के राखल बा।
बंट गइल खेत, दुआरे बखरा
केकर अंगना चोरा के राखल बा।
बात तू मान ल दुलरला पर
वरना पैना चोरा के राखल बा।
बैरी दुनिया में फकत तोहरा बदे
दिल खेलौना चोरा के राखल बा।
केतनो पोस तू प्राण पाखी ह
ओकर डैना चोरा के राखल बा।
सब पिपिहरी प दीवाना 'अभिज्ञात'
अउर मैना चोरा के राखल बा।
</poem>