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[[चित्र:Pearl_2.jpg|left|50px]] <b>...एक काव्य मोती...</b><br>
युग की संध्या, कृषक-वधु सी, किसका पंथ निहार रही<br>
उलझी हुई समस्याओं की, बिखरी लटें, सँवार रही!
--[[नरेन्द्र शर्मा]]</center>
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