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|रचनाकार=चन्द्रमणि
|संग्रह=रहिजो हमरे गाम / चन्द्रमणि
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केहन कठोर भेलौं हमरा बिसरिये गेलौं
कि आहो रामा! हमर जनम अहिना जायत रे की।
दिन अनचिन्हारे भेलै रातियो पहाड़े भेलै
कि आहो रामा! हमराले दिनकर कहियोने जागत रे की।
माघ गेलै फागुन एलै आमो मजरिये गेलै
कि आहो रामा! कुहुकैत कोइली अहिना कानत रे की।
दुखमे जनम भेल नोरे भरण भेल
कि आहो रामा! कहियो ने नयना हमर सुखायत रे की।
</poem>
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|रचनाकार=चन्द्रमणि
|संग्रह=रहिजो हमरे गाम / चन्द्रमणि
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केहन कठोर भेलौं हमरा बिसरिये गेलौं
कि आहो रामा! हमर जनम अहिना जायत रे की।
दिन अनचिन्हारे भेलै रातियो पहाड़े भेलै
कि आहो रामा! हमराले दिनकर कहियोने जागत रे की।
माघ गेलै फागुन एलै आमो मजरिये गेलै
कि आहो रामा! कुहुकैत कोइली अहिना कानत रे की।
दुखमे जनम भेल नोरे भरण भेल
कि आहो रामा! कहियो ने नयना हमर सुखायत रे की।
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