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वो दिल नवाज़ है लेकिन नज़र-शनास नहीं
मेरा इलाज मेरे चारागर के पास नहीं
वो दिल नवाज़ है लेकिन नज़र-शनास नहीं <br>तड़प रहे हैं ज़बाँ पर कई सवाल मगर मेरा इलाज मेरे चारागर के पास लिये कोई शयान-ए-इल्तमास नहीं<br><br>
तड़प रहे हैं ज़बाँ पर कई सवाल मगर <br>तेरे उजालों में भी दिल काँप-काँप उठता है मेरे लिये कोई शयान-ए-इल्तमास मिज़ाज को आसूदगी भी रास नहीं <br><br>
कभी-कभी जो तेरे उजालों क़ुर्ब में गुज़ारे थे अब उन दिनों का तसव्वुर भी दिल काँप-काँप उठता है <br>मेरे मिज़ाज को आसूदगी भी रास पास नहीं <br><br>
कभीगुज़र रहे हैं अजब मर्हलों से दीदा-कभी जो तेरे क़ुर्ब में गुज़ारे थे <br>ओ-दिल अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास सहर की आस तो है ज़िन्दगी की आस नहीं <br><br>
गुज़र रहे हैं अजब मर्हलों से दीदा-ओ-दिल <br>सहर की आस तो है ज़िन्दगी की आस नहीं <br><br> मुझे ये डर है तेरी आरज़ू न मिट जाये <br>बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नहीं <br><br/poem>
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