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क्या / श्रीनाथ सिंह

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<poem>
कड़ी धूप में निकले हैं,
तब भूभल से घबराना क्या?
सागर में जब कूदे तब,
डूबे डूबे चिल्लाना क्या?
दुनियाँ में जब आयें हैं,
तब दुःख से पिण्ड छुड़ाना क्या?
आफत ,चिन्ता ,मौत ,निराशा,
से भगना भय खाना क्या?
मिले सफलता या असफलता,
इस में मन उलझाना क्या?
आगे कदम बढ़ा देने पर,
पीछे उसे हटाना क्या?
</poem>