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|रचनाकार=संतोष मायामोहन
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}}
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<poem>
म्हूं नहावणी चावूं हूं
करमनासा नदी मांय
धोवणी चावूं
म्हारा सगळा ई-
पाप
अनै पुन्न
बणनी चावूं मानवी
दरसण करणा चावूं
म्हारै मांयरै मिनखपणै रा।
</poem>
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म्हूं नहावणी चावूं हूं
करमनासा नदी मांय
धोवणी चावूं
म्हारा सगळा ई-
पाप
अनै पुन्न
बणनी चावूं मानवी
दरसण करणा चावूं
म्हारै मांयरै मिनखपणै रा।
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