भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
यहाँ उगने लगी हैं
कई किसिम की ज़हरीली घासें
पनपने लगे हैं छोटे-छोटे गढ़ मठ'''*'''
चेतना तो कभी थी ही नहीं
अब विस्मृति भी फैलती जा रही है