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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
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<poem>
कई सालां सूं
देखूं
सरकारी स्कूल रा
मास्टर
टाबरां नै
जाबक ई नीं
पढ़ावै
फेर ई
बां रौ
‘रिजल्ट’
आछो ई आवै
टाबर पढ़ल्यै
इनै-बिनै ट्यूसन
जिग्यां-जिग्यां
खुल्यां है
‘कोचिंग सैन्टर’
मास्टरां रै
आछी ताबै आयी है
‘कोचिंग सैन्टर’ आळां ’रै ई
आछी-ध्याड़ी
बणै
टाबरां रा मायत ई सोचै-
के है
दो पीसां री बात है
जियां चालै
चालण द्यो
टाबरां में ई
इत्ती हिम्मत कोनी कै
ट्यूसन नीं पढ़’र
मास्टरां रो ‘रिजल्ट’
बिगाड़ द्यै
अर विभाग कानी सूं
‘रिमाण्ड’ ल्याय द्यै
पै’ली आजादी
ल्याणै खातर
गांधी जी रै कैवणै पर
पढ़ेसर्यां सदां सारू
पढ़ाई छोड़ दी ही
जद कै पढ़ाई रो
भविस बड़ो सूणौ हो
अब तो पढ़ाई रो कीं
भविस ई कोनी
फेर ई बै ट्यूसन नीं
छोड़ सकै।
</poem>
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कई सालां सूं
देखूं
सरकारी स्कूल रा
मास्टर
टाबरां नै
जाबक ई नीं
पढ़ावै
फेर ई
बां रौ
‘रिजल्ट’
आछो ई आवै
टाबर पढ़ल्यै
इनै-बिनै ट्यूसन
जिग्यां-जिग्यां
खुल्यां है
‘कोचिंग सैन्टर’
मास्टरां रै
आछी ताबै आयी है
‘कोचिंग सैन्टर’ आळां ’रै ई
आछी-ध्याड़ी
बणै
टाबरां रा मायत ई सोचै-
के है
दो पीसां री बात है
जियां चालै
चालण द्यो
टाबरां में ई
इत्ती हिम्मत कोनी कै
ट्यूसन नीं पढ़’र
मास्टरां रो ‘रिजल्ट’
बिगाड़ द्यै
अर विभाग कानी सूं
‘रिमाण्ड’ ल्याय द्यै
पै’ली आजादी
ल्याणै खातर
गांधी जी रै कैवणै पर
पढ़ेसर्यां सदां सारू
पढ़ाई छोड़ दी ही
जद कै पढ़ाई रो
भविस बड़ो सूणौ हो
अब तो पढ़ाई रो कीं
भविस ई कोनी
फेर ई बै ट्यूसन नीं
छोड़ सकै।
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