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चिंतावां / निशान्त

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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
आखै दिन
कीड़ियां दांई
चिमड़ती रैवै
चिंतावां
झड़कायां ई नीं झड़कै
अलबत
नींद रै मिस
का कीं काम रै मिस
बिसरै थोड़ी भौत ।
</poem>
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