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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
‘धरम-धरम‘ रा
ना‘रा लागै
कानी-कानी
पण धरम है के
बतावै नीं कोई
बतावणो ई कठै है काफी
साची धरम तो
धरम रै डांडै
चाल‘र दिखाणों है
बो तो पड़्यो है
सूनो ।
</poem>
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