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सत्ता / निशान्त

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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
लारली विधानसभा मांय
हारणियां नै
अबार पूरा होण जार्या है
पांच साल
अब बै धाप‘र
खावै मन रा लाडू
कै बिना कीं करे-धरे
सत्ता आ पड़सी
आपो-आप बांरी झोळी मांय
क्यूंकै परदेस में तो चालणी ही है
‘सत्ता रूढता प्रतिकूलता ’ री आंधी
बियां आ बात कोनी कै
बांरै इलाकै मांय
करण जोगा काम नीं हा
जनता नै जागरुक बणावण सारू
‘जन शिक्षण अभियान ’ री लोड़ तो
भारत जिसै देस में बणी ई रैवै
पण अठै खेतां-कारखाना अर
ईंट-भट्टा मांय
मजूरां रो बेथाग सोसण हो
थाणां-तै’सील स्यूं लेय’र
इलाकै रो हर छोटो -मोटो अैलकार
जनता रो खून चूसै हो
पण बां आं मांय स्यूं
किणी अेक रै खिलाफ ई
नीं उठाई आवाज
उठावंता भी कियां
लारली बार अै खुद ई
बसूलता रैया बां स्यू
म्हीनो
ईं वास्तै आं कीं नीं करयो
पूरा पांच साल
माचा तोड़न रै सिवा
हां, विपख री
ईमानदार भूमका निभाणआळा भी
हा अठै कई
जका नीं रैया कदे विधायक
पण जकां नै म्हैं देख्या जद-तद
खड़्या सड़कां पर
गळत रै सांमी ।
</poem>
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