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लोकराज: अेक / निशान्त

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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
बै
चुनाव मांय
थिर सरकार नै
मुद्दो बणासी
मतलब
जनता नै चेतो करासी
कै देखो
म्हे
मजा मारण मांय
कितणां हुंस्यार हां ।
</poem>
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