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तिणकलो / निशान्त

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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
तिणकलै नै मामूली गिणो थे
क्यूं ....कदेई सुण्यो कोनी के
ओ मुहावरो कै
डूबतै नै तिणकलै रो सा’रो
इत्तो ई क्यूं
तिणकलो-तिणकलो जोड़यां ई
जगाई जा सकै आग
आग जकी बुझावै पेट री आग
अर सियालै मांय दूर करै सी’
असल बात तो आ कै
आग भलाऊं किसी ई होवै
तिणकलां स्यूं ई
सरू करीजै
तिणकलो भलांई
फूंक स्यू हाल जावै
पण फूंक स्यूं बणाइजै कोनी
ईं नै बी पैदा करण मांय
माटी-पाणी सो’ कीं चाईजै
अर छोटै स्यूं छोटो तिणकलो
पैदा करण मांय
अेक-दो म्हीनां
लाग ज्यावै ।
</poem>
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