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बा / निशान्त

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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
‘प्लेटफार्म’ री बेंच माथै
मेरै लारलै पासै बैठी बा
आप रा
रोजणा रोवै ही
बा शई अर भैणां साथै
बापू रा फूल लेय’र
हरदवार जावै ही
बां रै बापू
जै’र खा’र
आपघात कर लियो हो
बां भैण-भाइयां मांय
जमीन -जै’दाद रो
रोळो भी हो
बा बतावै ही कै
सारै भैण-भाइयां रै फून है
पण कण ई नीं दियो बींनै
बाप रै स्परे
पी लेण रो समचार
जीतै जी मिल नीं सकी बा
बा बतावै ही कै
बीं रो घर धणी
कीं भोळो है
बण अेक जिग्यां
जमीन देख’र छोरी रो रिस्तो करयो
पण ब्या’ पछै ठा लाग्यो
जमीन तो बीं रै ही ई कोनी
बा बतावै ही कै
बींनै सारी-सारी रात
नींद कोनी आवै
सणफां चालै
‘ब्लड परेसर ’ न्यारो रैवै ...
बा भाई स्यू गोळी मंगावै ही ।
</poem>
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