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यह कविता नहीं है / कमलेश

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कहीं कोई गाँव में जवान नहीं, सब बूढ़े-बुढ़िया
तसला लेकर बैठे हुए, बच्चे व्यग्र लोभ सेखिचड़ी का फदकना निहारते
क्या आज स्कूल में दूध बँटा था, किसने
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