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|रचनाकार=रामदरश मिश्र
|संग्रह=दिन एक नदी बन गया / रामदरश मिश्र
}}
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<poem>
हमेशा आकाश से झरती है एक नदी
और हमेशा ऊपर ही ऊपर कोई पी लेता है
धरती प्यासी की प्यासी रहती है
और कहने को आकाश से नदी बहती है।
</poem>
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हमेशा आकाश से झरती है एक नदी
और हमेशा ऊपर ही ऊपर कोई पी लेता है
धरती प्यासी की प्यासी रहती है
और कहने को आकाश से नदी बहती है।
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