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{{KKRachna
|रचनाकार=रामदरश मिश्र
|संग्रह=दिन एक नदी बन गया / रामदरश मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सावधान
चूहे फिर उतरा गये हैं सड़क पर
जल्दी ही घरों में प्रवेश करेंगे
अपनी-अपनी किताबें सँभाल लो
ये गोदाम या तिजोरी नहीं काटते
केवल किताबें काटते हैं
क्योंकि उनमें इनसे बचने
या मारने के उपाय लिखे होते हैं।
27-5-80
</poem>
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सावधान
चूहे फिर उतरा गये हैं सड़क पर
जल्दी ही घरों में प्रवेश करेंगे
अपनी-अपनी किताबें सँभाल लो
ये गोदाम या तिजोरी नहीं काटते
केवल किताबें काटते हैं
क्योंकि उनमें इनसे बचने
या मारने के उपाय लिखे होते हैं।
27-5-80
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