भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मधुर जीवन हुआ कुछ प्राण! जब से
लगा ढोने व्यथा का भार हूँ मैं
रुंदन अनमोल धन कवि का, इसी सेपिरोता आँसुओं का हार हूँ मैं
मुझे क्या गर्व हो अपनी विभा का
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,148
edits