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अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है
क्या करे वो जान कर अंजान है -
ऊपर वाल वाला जान कर अंजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है
ऊपर वाल वाला जानकर अंजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है
कानों में कुछ कह दे जो इस दिल को बहला दे
ये भी मुशकिल है तो क्या आसान है
ऊपर वाल वाला जान कर अन्जान अंजान है ...
सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे
फिर तो भटके राही को मिल जायेंगे जाएँगे रस्ते
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है
ऊपर वाल वाला जानकर अन्जान अंजान है ...
दिल ही तो है इस ने शायद भूल भी की है
ज़िंदगी ज़िन्दगी है भूल कर ही राह मिलती हैमाफ़ कर बन्दा भी इक इन्सान इंसान हैऊपर वाल वाला जान कर अंजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है
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