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सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय

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'''सतीश शुक्ला 'रक़ीब' ''''
व्यक्तिगत एवं साहित्यिक परिचय
शिक्षा : एम० ए०, बी० एड०, डी०सी०पी०एस०ए०(कम्प्युटर)
 
वर्तमान सम्प्रति : इस्कॉन, मुंबई में सहायक प्रबंधक
“आप से तुम, तुम से तू कहने लगे' :"संगम":वर्ष-2013:अंक-3 मार्च 2013 : पृष्ठ-42 : पटियाला (पंजाब)
“हर एक लफ़्ज़ पे वो जाँ निसार करता है” : अर्बाबे-क़लम : 15/35 अप्रैल - जून 2013 : देवास, म.प्र.
“अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद" : “अदबी दहलीज़" : दूसरी महक / पृष्ठ-27 : पत्र प्रकाशित : पृष्ठ – 2 पृष्ठ–2 : जून 2013 : सरायमीर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)
'परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ':पृष्ठ-11:द उर्दू टाइम्स:23 जून 2013:मुंबई (महाराष्ट्र)
"पछताएगा, मज़लूम पे ज़ालिम न जफा कर / क़ुदरत की तो लाठी की सदा तक नहीं आती " : मुख्य पृष्ठ बॉक्स : 26 जून 2013 : डेली उर्दू एक्शन (उर्दू में) : भोपाल (म.प्र.)
"गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिंदी से / मेरे मिजाज़ में उस अंजुमन की खुशबू है" : मुख्य पृष्ठ बॉक्स : 26 जुलाई 2013 : डेली उर्दू एक्शन (उर्दू में) : भोपाल (म.प्र.)
"क्यों ज़ुबां पर मेरी आ गई हैं प्रिये"/"होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" : उजाला-2013 दीपावली विशेषाँक:धमतरी(छ.ग.):पृष्ठ-123
“'अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद” अर्बाबे-क़लम : 17/30 : अक्टूबर - दिसम्बर 2013 : देवास, म.प्र.
“बताऊँ क्यों अजीब हूँ" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) 11 जुलाई 2014
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे':" : “अभिनव इमरोज़" : वर्ष-3 : अंक-6 : पृष्ठ-77 : जून 2014 :नई दिल्ली
"आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे" : "छंद-प्रभा" : ऑनलाइन अंतर्जालीय पत्रिका : संपादक - संजय सरल : पृष्ठ-38 : जून-अगस्त 2014: देवास, म.प्र.
"होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" : प्रेरणा-अंशु : वर्ष - 27 : अंक – 4 : पृष्ठ - 24 : जुलाई 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड.
"आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे" : अभिनव इमरोज़ : वर्ष - 3 :अंक-7 : जुलाई 2014 : पृष्ठ-53 : नई दिल्ली-70
“परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ” : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष-6: अंक 32: पृष्ठ-69 : जुलाई-सितम्बर 2014 : भोपाल म.प्र.
'आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब' / 'फिर से शहनाइयाँ, शामियाने में हैं' : "अदबी दहलीज़" : 5 / 18 जुलाई-सितम्बर 2014 सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
"मिल जुल के चलो प्यार का संसार बसाएँ / तनहा न बना पाएँगे हम एक मकाँ तक" / ऊँची-उड़ान / प्रेरणा-अंशु / वर्ष - 27 : अंक - 5 : पृष्ठ - 21 : अगस्त 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड.
"काश! इक बार मिल सकूँ उससे" : ग़ज़ल के बहाने - पुष्प-16 : पृष्ठ - 18 : सितंबर - 2014 : जवाहर नगर, दिल्ली
'बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे' : "प्राची प्रतिभा" : वर्ष - 5 : अंक - 54 : पृष्ठ - 24 : अक्टूबर 2014 लखनऊ उ.प्र.
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" / "लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : अनुष्का : वर्ष - 4 : अंक -3: पृष्ठ-25 : अक्टूबर 2014 : मुम्बई ( महाराष्ट्र )
"चुप कहाँ रहना कहाँ पर बोलना है" : नई लेखनी : अंक - 7 : पृष्ठ - 31 : जुलाई - दिसम्बर 2014 : बरेली (उ.प्र.)
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 6: अंक 23: पृष्ठ - 41: अक्टूबर-दिसम्बर 2014:भोपाल म.प्र.
"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" : अदबी दहलीज़ : 2/2/23 अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
“ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : गीत गागर : : अंक -८ : पृष्ठ- 35 : अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : पत्र - पृष्ठ - 09 : भोपाल म.प्र.
"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" / प्रेरणा-अंशु / वर्ष - 27 : अंक – 8 : पृष्ठ - 23 : दिसंबर 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड.
“सुब्ह नौ के है तू रोशनी भी सनम" / "आँसुओं से अपना दामन तर-बतर होने के बाद" / " बताऊँ क्यों अजीब हूँ" : अभिनव इमरोज़: वर्ष - 4 :अंक - 1 : जनवरी 2015 : पृष्ठ- 25 : नई दिल्ली-70
"आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब":"प्राची प्रतिभा":वर्ष-5:अंक-58:पृष्ठ-24:फरवरी 2015:लखनऊ उ. प्र.
"होटों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती":"प्राची प्रतिभा":वर्ष-5:अंक-59:पृष्ठ-23:पत्र प्रकाशित:पृष्ठ-37:साहित्यिक समाचार के अन्तर्गत, सरस काव्य समारोह:पृष्ठ-40:में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति दर्ज़ : मार्च, 2015 : लखनऊ उ. प्र.
"आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे" :"अदबनामा":वर्ष-1:अंक-3:पृष्ठ-59:पत्र प्रकाशित:पृष्ठ-61:जनवरी-मार्च 2015:नरोभास्कर, जालौन उ.प्र.
“रूह कहते हैं जिसको क्या है वो” : अर्बाबे-क़लम : 22/20 : जनवरी-मार्च 2015 : देवास, म.प्र.
“कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 7: अंक 24: पृष्ठ - 70 : जनवरी-मार्च 2015 : भोपाल म.प्र.
"हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है" -84 वर्षों से अनवरत प्रकाशित उर्दू का अन्तर्राष्ट्रीय रिसाला -"शायर" मुंबई (उर्दू) पेज 47 वॉल्यूम 59(86)
इशू अप्रैल 2015 - मुंबई (महाराष्ट्र)
'क्यों जुबां पर मेरी आ गयी हैं प्रिये' : "प्राची प्रतिभा" : वर्ष - 5 : अंक - 60 : पृष्ठ - 34 : अप्रैल 2015 : लखनऊ उ.प्र.
"है आदिकाल से मानव का आचरण मित्रो" : "प्रेरणा" : अंक - 46 / 2015 : पुवायां, शाहजहाँपुर उ.प्र.
"दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है" : "अनन्तिम" : वर्ष - 6 : अंक - 24 : पृष्ठ - 19 : कानपुर (उ.प्र.)
"हसरते-बोसा-ए-रुख़सार नहीं थी, कि जो है" / "कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" : अदबी दहलीज़ : 2/14/62 : अप्रैल-जून 2015 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.“वह सताता है दूर जा-जा कर":रिसाला-ए-इंसानियत: वर्ष-7: अंक-25 : पृष्ठ-37 : पत्र प्रकाशित : पृष्ठ-76 : अप्रैल-जून 2015 : भोपाल म.प्र."कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" : "साहित्य कलश" : वर्ष - 2 : अंक - 2 : पृष्ठ - 4 : अप्रैल - जून 2015 : पटियाला (पंजाब)
"ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" : "विधि पताका" : पृष्ठ - 11 : 12 जून 2015 : कानपुर, उ.प्र.
"जिसको देखो 'रक़ीब' पढ़ता है / जैसे चेहरा किताब है कोई" / शैल-सूत्र / उपशीर्षक / उड़ते परिन्दे - विनय 'सागर' / वर्ष - 8 : अंक - 2 : पृष्ठ - 52 : अप्रैल - जून 2015 : बिन्दुखत्ता, लालकुआँ, नैनीताल (उत्तराखंड).“कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" / "ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" : "सरमाया हिंद" :: वर्ष- 1 : अंक - 6 : पृष्ठ - 19 : जून – 2015 : साहिबाबाद , गाज़ियाबाद, उ.प्र."अंजान हैं, इक दूजे से पहचान करेंगे" / "बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" / "क्यों जुबां पर मेरी आ गयी हैं प्रिये" / "रूह कहते हैं जिसको क्या है वो" / "यह हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई" / उफ ! मिटा पाए न जिसकी याद अपने दिल से हम" / "हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है" / "आज माहौल दुनिया का खूँरेज़ है" / " होटों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" / "दिलों में फिर वो पहली सी, मोहब्बत हो अगर पैदा" / "है आदि काल से मानव का आचरण मित्रो" / "लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : "अदबनामा" : वर्ष - 2 : पूर्णांक - 5 : ग़ज़लिस्तां (एक ही शाइर की अनेक ग़ज़लें) : और परिचय : पृष्ठ - 63 से 66 (चार पूर्ण पृष्ठ ) : जुलाई-सितम्बर 2015 : नरोभास्कर, जालौन उ.प्र.
आकाशवाणी-प्रसार भारती मुंबई के सम्वाहिका चैनल से रचनाओं/काव्यपाठ का प्रसारण-नवम्बर 2012
 
पुरस्कार, सम्मान एवं सहभागिता
 मुंबई, देहली, भोपाल, पुणे, लखनऊ एवं कानपुर में 300 से अधिक मुशायरों, नाशिस्तों, कवि सम्मेलनों और काव्य गोष्ठियों में शिरकत
मुंबई की सामजिक एवं साहित्यिक संस्था आशीर्वाद द्वारा विशेष सम्मान मई 2008
मुंबई में सम्पन्न 24 घंटे के अखंड काव्य अनुष्ठान में सहभागिता और सम्मान पत्र अक्टूबर 2012
निर्माता / निर्देशक म ना नरहरी जी द्वारा निर्मित 40 रचनाकारों के सामूहिक वीडियो एलबम "दस्तावेज़" में सहभागिता : लोकार्पण दिनांक 03.03.2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)
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