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एक साथ जन्मे हम दोनों , मैं औ मेरा भाई। किन्तु शकल सूरत मिलने से , बेहद आफत आई। मैं हूँ कौन? कौन है भैया? समझ न कोई पाता , जाता यदि वह नहीं मदरसे , तो मैं ही पिट जाता। भाई का ले नाम मुझे थे , घर के लोग बुलाते। पड़ता वह बीमार - दवाई लेकिन मुझे पिलाते। धोखे में आ मात पिता ने , भी की भूल घनेरी। भाई से ब्याहा उसको , जो होती दुलहिन मेरी। क्या बतलाऊँ मुसीबतें , क्या पड़ीं शीश पर पटपट , भाई जब मर गया मुझी को , लोग ले गए मरघट।
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