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आंधी आँधी आई जोर-शोर से,डाली डालें टूटी है हैं झकोर सेसे।उड़ा घोंसला बेचारी काअंडे फूटे,किससे अपनी दुख की बात कहेगी!अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?
हमने खोला आलमारी को,बुला रहे हैं बेचारी को।पर वो चीं-चीं कर्राती हैघर में तो वो नहीं रहेगी! घर में पेड़ कहाँ से लाएँ,कैसे यह घोंसला बनाएँ!कैसे फूटे अंडे जोड़ेंजोड़े,किससे यह सब बात कहेगी!अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?
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