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{{KKCatGhazal}}
<poem>
आप क्यूं क्यूँ शर्मसार<ref>शर्मिन्दा</ref> होते हैं।
हम-से धरती पे बार होते हैं।।
जिनमें फूलों के हार होते हैं।
आशिक़ों के मज़ार होते हैं।