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तितली रानी / अंशु शुक्ला

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तितली रानी, तितली रानी!
कौन देश से आती हो,
फूल-फूल का रस पीतो हो
फिर झट से उड़ जाती हो।
अपने इन सुंदर पंखों पर
क्यों इतना इतराती हो?
छोटे-छोटे हम बच्चों को
कयों तुम नाच नचाती हो।
रंग-बिरंगे फूलों के सँग
तुम क्यों हँसती-गाती हो।
हम बच्चों से क्या कुट्टी है,
हाथ नहीं जो आती हो!
मैं भी इक दिन पंख लगाकर
जब तितली बन जाऊँगी,
तुमसे जी भर बात करूँगी
और संग उड़ जाऊँगी।
</poem>
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