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|रचनाकार=धीरेंद्र कुमार यादव
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<poem>बंदर जी अखबार पुराना,
उठा कहीं से लाए।
कहा गधे से ‘आओ तुमको
खबरें नई सुनाएँ।’
बोले, ‘बस गिर गई खड्ड में,
मरे मुसाफिर सारे।
सुनो सुनाता हूँ, आगे-
दुनिया की खबरें प्यारे।’
बात काटकर गदहा बोला,
बंदर से इस बार-
‘हिंदी में पढ़ते हो बाबू,
इंगलिश का अखबार।’
</poem>
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