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|रचनाकार=विष्णुकांत पांडेय
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<poem>गदहे ने अखबार उलटकर
नजर एक दौड़ाई,
बोला-गाड़ी उलट गई है
गजब हो गया भाई।
बंदर हँसकर बोला-देखो,
उल्टा है अखबार,
इसीलिए उलटी दिखती है
सीधी मोटर कार!
</poem>
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