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|रचनाकार=बालकवि बैरागी
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}}
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<poem>गोरे-गोरे चाँद में धब्बा
दिखता है जो काला काला,
उस धब्बे का मतलब हमने
बड़े मजे से खोज निकाला।
वहाँ नहीं है गुड़िया बुढ़िया
वहाँ नहीं बैठी है दादी,
अपनी काली गाय सूर्य ने
चँदा के आँगन में बाँधी।
</poem>
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<poem>गोरे-गोरे चाँद में धब्बा
दिखता है जो काला काला,
उस धब्बे का मतलब हमने
बड़े मजे से खोज निकाला।
वहाँ नहीं है गुड़िया बुढ़िया
वहाँ नहीं बैठी है दादी,
अपनी काली गाय सूर्य ने
चँदा के आँगन में बाँधी।
</poem>