भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रूप धूप के / सूर्यकुमार पांडेय

883 bytes added, 23:59, 29 सितम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यकुमार पांडेय |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकुमार पांडेय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>आकर बैठी दरवाजे पर,
उछली, पहुँच गई छज्जे पर
वह नन्ही चिड़िया-सी धूप।

पल में आ जाती धरती पर,
पल में हो जाती छूमंतर
जादू की पुड़िया-सी धूप।

लुढ़क रही कमरे के अंदर,
बैठी मस्ती से बिस्तर पर
जापानी गुड़िया-सी धूप।

पके आम से गालों वाली,
और सुनहरे बालों वाली
लगती है बुढ़िया-सी धूप।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits