भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बरसो राम / निरंकार देव सेवक

784 bytes added, 18:49, 2 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निरंकार देव सेवक |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निरंकार देव सेवक
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बरसो राम धड़ाके से,
बुढ़िया मर गई फाके से!
गरमी पड़ी कड़ाके की,
नानी मर गई नाके की!

घबराई मछली रानी,
देख नदी में कम पानी।
पेड़ों के पत्ते सूखे,
धोबी के लत्ते सूखे।

जब सब मिलकर चिल्लाए,
उमड़-घुमड़ मेघा आए।
ओले बरसे टप-टप-टप,
हमने खाए गप-गप-गप।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits