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<poem>
पापा, तंग करता है भैया!

कार तोड़ दी इसने मेरी
फेंक दिए दो पहिए दूर,
हार्न टूटकर अलग पड़ा है
बत्ती कर दी चकनाचूर।
कहता-पापा से मत कहना,
ले लो मुझसे एक रुपैया!

लकड़ी का था मेरा हाथी
इसने दोनों कान उखाड़े,
हिरन बनाए थे मैंने जो
कापी से वो पन्ने फाड़े।
तोड़-फोड़ डाली, जो मम्मी
मेले से लाई थी गैया!

इसने ले ली गुड़िया मेरी
ठुमक-ठुमक पीती जो पानी,
एक नहीं, करता रहता है
हरदम ऐसी ही मनमानी।
गुड्डा मेरा चुरा लिया है-
कहता-ले लो चोर-सिपैया!
</poem>
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