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<poem>चंदा मामा, चंदा मामा,
मेरे घर आ जाओ मामा!
चंदा मामा, चंदा मामा
कहाँ तुम्हारा नया पजामा?
ऊपर से मुसकाते रहते,
धीरे-धीरे गाते रहते।
क्या गाते हो मन ही मन में
आकर हमें सुनाओ, मामा।
रोज-रोज क्यों बहकाते हो,
मेरे पास नहीं आते हो,
दुबले-पतले, मुँह लटकाते,
फिर कैसे मोटे हो जाते?
सच क्या है, कैसे सब होता?
आकर हमें बताओ, मामा।
इतने वेश बदलते हो तुम,
दिन में नहीं निकलते हो तुम,
मम्मी-पापा तुम्हें बुलाते,
अच्छा हलवा-खीर बनाते
आकर तुम खा जाओ, मामा,
मेरे घर आ जाओ मामा!
</poem>
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