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सोन चिरैया! / रत्नप्रकाश शील

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<poem>सोन चिरैया आ जा, आ जा
खा जा हप्पा!
फिर गाएँगे दोनों मिलकर
लारालप्पा!

तू उड़ना, मैं बैठ परों पर जऊँगा,
धरती के बारे में तुझे बताऊँगा।
दोनों देखेंगे दुनिया का
चप्पा-चप्पा!

तू छोटी मैं बड़ा, नहीं कुछ इससे होता,
बड़ी नदी बन ही जाता, छोटा-सा सोता।
सब हैं एक बराबर
कहते मेरे बप्पा!

मगर बात यह नहीं समझ में मेरे आती,
‘छोटे’ पर अम्मा क्यों ज्यादा प्यार जताती।
मैं जिद करता तो मिलता
बदले में धप्पा!
सोन चिरैया आ जा, आ जा
खा जा हप्पा!
-साभार: नंदन, अक्तूबर, 1995
</poem>
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