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{{KKRachna
|रचनाकार=देवेंद्रकुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>अरे!
अभी रखी थी
यहाँ मिठाई,
गई मिठाई!
सच-सच बोलो
किसने खाई,
वरना होगी
बहुत पिटाई।
रामू चुप है
चुप है हीरा,
नहीं बोलती
कुछ भी मीरा।
गप्प मिठाई,
हप्प मिठाई!
जो करना है
कर लो भाई,
क्या बोलेगी
हजम मिठाई!
ऐसे मुँह में
गई मिठाई!
अब तो लाओ
और मिठाई।
</poem>
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<poem>अरे!
अभी रखी थी
यहाँ मिठाई,
गई मिठाई!
सच-सच बोलो
किसने खाई,
वरना होगी
बहुत पिटाई।
रामू चुप है
चुप है हीरा,
नहीं बोलती
कुछ भी मीरा।
गप्प मिठाई,
हप्प मिठाई!
जो करना है
कर लो भाई,
क्या बोलेगी
हजम मिठाई!
ऐसे मुँह में
गई मिठाई!
अब तो लाओ
और मिठाई।
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