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|रचनाकार=पृथ्वी पाल रैणा
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अश्रुजल से प्यास बुझे तो
पी लो जितना पीना है
आंसू तो घर की खेती है
दर्द से हारे लोगों की
</poem>
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}}
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अश्रुजल से प्यास बुझे तो
पी लो जितना पीना है
आंसू तो घर की खेती है
दर्द से हारे लोगों की
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