भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खिलौने वाला / मंगरूराम मिश्र

1,398 bytes added, 06:07, 5 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंगरूराम मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मंगरूराम मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बाबूराम खिलौने वाला,
नए खिलौने लाया लाला!
चाहे ले लो गुड़िया-गुड्डा,
चाहे ले लो बुढ़िया-बुड्ढा,
चाहे ले लो बंदर काला!

ले लो टाइप करती गुड़िया,
यह पूरी जादू की पुड़िया,
टाइप करती खूब फटाफट,
खतम करे सब काम चटापट,
करे नहीं कुछ गड़बड़ झाला!

ये गुब्बारे मित्र हमारे,
इनसे ब्रह्मा भी है हारे,
पल में जो चाहो बन जाते,
चोंच लगे, चिड़िया हो जाते,
बढ़ खोलें खुशियों का ताला!

चाहो तो यह फुग्गा ले लो,
मन चाहे तो सुग्गा ले लो,
चाहो मोटर गाड़ी ले लो,
तेज दौड़ने वाली ले लो,
हार्न लगा है पों-पों वाला।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits