भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाथी दादा / जगदीशचंद्र शर्मा

548 bytes added, 00:06, 6 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीशचंद्र शर्मा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जगदीशचंद्र शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>हाथी दादा चले घूमने होकर जब तैयार,
बाहर उनके लिए जीप सी खड़ी हुई थी कार।
उसके भीतर ज्यों ही दादा होने लगे सवार,
टायर फटा बोझ से भाई कार हुई बेकार।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits