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बाल-वर्ष / श्यामसिंह 'शशि'

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<poem>बाल-वर्ष में बिट्टू-बिटिया
बोले-‘हम हैं राजा-रानी।
पापा-मम्मी, नाना-नानी,
तुमसे सुननी नहीं कहानी।

क्या तुमने गबरू को देखा
पालिश करते फुटपाथों पर?
छोटू जूठन धोता देखा
क्या तुमने होटल-ढाबों पर?

सात साल की भोली सरला
लगा रही झाडू़ घर घर में,
कितने ही पप्पू और डब्बू
बिना दूध सोते छप्पर में।

खड़ी चढ़ाई पार कर रहा
चार साल का चरवाहा है,
दस बरसों में बूढ़ा लगता
वह गंगू नौकर आया है।

जब तक भीख माँगता बच्चा
कैसे बाल-वर्ष तब अच्छा
पापा-मम्मी, नाना-नानी
इन बच्चों की यही कहानी।
</poem>
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