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बरसो राम / चंद्रसेन विराट

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<poem>बरसो राम, धड़ाके से,
बुढ़िया मरे न फाके से!

सनन-सनन सन हवा चले,
सबके मुख पर धूल मले,
घर के दरवाजे खिड़की,
खड़कें खूब खड़ाके से!

बरसो राम, धड़ाके से,
बुढ़िया मरे न फाके से!

उमड़-उमड़कर गगन घिरो,
और मूसलाधार गिरो,
चमकाओ बिजली चम-चम,
गरजो खूब कड़ाके से!

बरसो राम, धड़ाके से,
बुढ़िया मरे न फाके से!
</poem>
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