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छोटू जी / तारादत्त निर्विरोध

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<poem>एक हमारे छोटू जी,
सबसे न्यारे छोटू जी।
रोज सुबह डगमग चलते,
घर के द्वारे छोटू जी।

च्युंगम टाफी या फ्रूटी,
नाम पुकारें-छोटू जी।
सजे धजे-से कपड़ों में,
है रत्नारे छोटू जी।
एक-एक कर फोड़ चुके,
सौ गुब्बारे छोटू जी।

बड़ी सड़क तक कम जाते
डर के मारे छोटू जी।
पढ़ने-लिखने में लेकिन,
कभी न हारे छोटू जी।
अपनी बस्ती में रहते,
सबके प्यारे छोटू जी!

-साभार: नंदन, सितंबर, 2002, 20
</poem>
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