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<poem>एक पते की बात बताऊँ
ओ चूहों के राजा,
‘मेरी दादी के बक्से में रक्खा खूब बताशा’।

एक बना के छोटा-सा बिल
चुपके से घुस जाओ,
लेकर के फिर सभी बताशे
फिफ्टी-फिफ्टी खाओ।

मगर कहीं ऐसा ना करना
लेकर सभी बताशे,
तुम अपने बिल में घुस जाओ
हम बाहर से झाँकें!

-साभार: हीरोज क्लब पत्रिका, इलाहाबाद
</poem>
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