भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोरी / नरेंद्र मस्ताना

1,415 bytes added, 14:47, 6 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेंद्र मस्ताना |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नरेंद्र मस्ताना
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>पलकें हुईं भारी, आँखों में खुमारी,
कर ले मुन्ने राजा, सोने की तैयारी!

परियों के देश तुझे निंदिया ले जाएगी,
सोनपरी वहाँ तुझे गोद में खिलाएगी,

एक मुस्कान पे वो जाएगी रे वारी!

धरती का चाँद तुझे पापा जी बताएँ,
गोद में उठाएँ फिरें, देखों मुस्काएँ,

आज वो घुमाएँ तुझे, कल है तेरी बारी!

सपने में नानी माँ के घर चले जाना,
चुपके से नानी माँ की गोद में समाना,

वहाँ तुझे नींद बड़ी आएगी रे प्यारी!

दादा तुझे याद करें, दादी ने बुलाया,
तेरे लिए दादा जी ने पलना मँगाया,

तुझको झुलाएँगे वो दोनों बारी-बारी!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits