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गुड़िया / शेरजंग गर्ग

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<poem>चश्मा लगा के गुड़िया
लगती जवान बुढ़िया!
कुछ बड़बड़ा रही है
किसको पढ़ा रही है?
गुड्डे को है पढ़ाती
उसको सबक सिखाती।
थोड़ा-सा मुस्कराकर
गुड़िया को मुँह चिढ़ाकर!
पढ़ता है पाठ गुड्डा
करता है ठाठ गुड्डा
</poem>
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