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अंधेरे में / भाग 5 / गजानन माधव मुक्तिबोध
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09:47, 13 अप्रैल 2008
एकाएक मुझे भान !!<br>
पीछे से किसी अजनबी ने<br>
कन्धे पर
हाथ रखा।
रक्खा हाथ।
<br>
चौंकता मैं भयानक<br>
एकाएक थरथर रेंग गयी सिर तक,<br>
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अमित दुआ