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प्राण-जल-प्रपात में घुलते हैं प्रतिपल<br>
अकेले में किरणों की गीली है हलचल<br>
गीली है हलचल!!<br>हाय, हाय! मैंने उन्हे गुहा-वास दे दिया<br>लोक-हित क्षेत्र से कर दिया वंचित<br>जनोपयोग से वर्जित किया और<br>निषिद्ध कर दिया<br>खोह में डाल दिया!!<br>वे ख़तरनाक थे,<br>(बच्चे भीख माँगते) ख़ैर...<br>यह न समय है,<br>जूझना ही तय है।<br>
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