भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

निषेध / रामनरेश पाठक

632 bytes added, 13:51, 7 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामनरेश पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>ये अलिखित ही रहें

तनहाइयाँ, फिसलनें
ना उम्मीदियाँ, उलझनें,
तनाव, सिलवटें,
सुझाव, करवटें,

ये अलिखित ही रहें.

कोरे कागज़ का दर्द
यों ही बहुत होता है,
स्याही पी पी कर वह
और बड़ा होता है !!!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits